भारत के आर्थिक का विकास में सबसे बड़ी बाधा “रट्टा मार शिक्षा पद्धति”

किसी भी स्कूल के बाहर से निकलो तो दो दूनी चार और दो तीये छह का समूह गीत सुनाई देना बहुत ही साधारण सी बात है। विद्यालयोंमें गिणत, विज्ञान, इितहास, भूगोल सब रटा कर, घोट के पिला दिया जाता है तािक विद्यार्थी परीक्षा में अच्छे नम्बरों से पास हो सके और स्कूल अपना शत प्रितशत सफलता का पिरणाम दिखा सके।

शिक्षकों की मार, माँ बाप का डर, फेल ना हो जाये इस बात की आशंका विद्यार्थी को दो दूनी चार रटने के लिए मज़बूर तो कर देती है लेिकन इस गणना का उसके व्यिक्तगत जीवन में क्या महत्व है ये सवाल ना तो उसे सूझता है और अगर सूझे भी तो पूछने की हिम्मत नहीं होती।

बच्चों के दिमाग का 90% विकास पांच से छः साल की उम्र तक हो जाता है। जीवन के इस संवेदनशील दौर में बच्चों के नैसिगर्क गुणों को समझ कर उनको विकसित करने की बजाय अिधकांश घरों में रट्टा मार पद्धित के तहत एक पूवर् निर्धारित सांचे में ढालदिया जाता है।

शिक्षा के प्रित हमारी समझ शुरू से ही दिशाहीन रही है, स्वतंत्रता प्रािप्त के समय भारत की साक्षरता दर मात्र 12% थी इसिलए आज़ादी के बाद पहला लक्ष्य 100 % साक्षरता का बनाया गया। साक्षरता के नाम पर हम आज भी जिस लक्ष्य का पीछा कर रहे है उनका उद्देश्य सिर्फ इतना है कि व्यिक्त अपना नाम लिखना सीख जाये। लेिकन सोचने वाली बात ये है कि आज अगर देश की शत प्रितशत जनता को अपना नाम लिखना आ जाये तो क्या हमारी जीडीपी में सुधार आ जायेगा ? ये रट्टा मारशिक्षा पद्धित का ही पिरणाम है कि हम ऐसे लक्ष्यों को पाने के पीछे भाग रहे है जिनका कोई आधार ही नहीं है ।

आज टेक्नोलॉजी के दौर में हमें विश्व के साथ कदम से कदम मिला कर चलने के लिए केवल साक्षरता की नहीं बिल्क अथर् पूणर् शिक्षा की आवश्यकता है।

अथर् पूणर् शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए हमें सबसे पहले शिक्षा के सही मायने समझने की ज़रूरत है। रट्टा मार शिक्षा पद्धित में विद्यार्थीयों को जीवन के लिए नहीं बिल्क मात्र परीक्षा के लिय तैयार किया जाता है। जहाँ विद्यार्थी बिना सोचे समझे किताबी ज्ञान को रटते है, परीक्षा में हूबहू लिख देते है और परीक्षा के बाद भूल जाते है और विद्यार्थी जीवन रटना- पेपर में लिखना – भूल जाना के चक्र में घूमता रहता है। 15-17 साल बाद जब ये चक्र समाप्त होता है तब उसके पास डिग्रियां तो होती है लेिकन कौशल के अभाव में रोजगार के लिए मारे मारे फिरना पड़ता है। इंडियास्किल रिपोर्टर 2022 के अनुसार देश के 48.7% युवा रोज़गार योग्य है यानी प्रित 2 में से एक युवा कौशल के अभाव के कारण रोज़गार योग्य नहीं है I इंडिया स्किल रिपोर्टर के सवेर्क्षण में
शािमल सभी कंपिनयों में से लगभग 75% ने कौशल कमी की समस्या को ज़ािहर किया|

आज हमारे देश को ऐसी शिक्षा पद्धित की दरकार है जो विद्यार्थी यों के व्यिक्तत्व का विकास करें, कौशल का विकास करे और उन्हें सक्षम बनाये I और ऐसी शिक्षा के लिए कुछ मूलभूत पिरवतर्नों की आवश्यकता है :-

  1. शिक्षा को दिमाग में ठूंसने की बजाय जिज्ञासा जगाए, क्योंकि जब विद्यार्थी के मन में जिज्ञासा जागेगी तो अपने सवालों के जवाब तलाशने के लिए वो खुद पढ़ने में इच्छुक होंगे
  2. जबविद्यार्थी में जिज्ञासु प्रवृित्त जागृत होगी तो उनके आस पास 24X7 शिक्षा की व्यवस्था और ज्ञान के माध्यम भी उपलब्ध हो तािक ज्ञान प्रािप्त का विकल्प स्कूल और कक्षा की चारिदवारी के बाहर भी मिल सके
  3. एक कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी यों का मानिसक स्तर एक समान नहीं होता इसिलए प्रत्येक विद्यार्थी को उसके मानिसक स्तर के अनुसार शिक्षा का अवसर मिलना चािहए|

और ये सब पिरवतर्न डिजिटल एजुकेशन के माध्यम से ही सम्भव है I हालाँकि राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री ईविद्या स्कीम चलाई जा रही है लेिकन वषर् 22-23 केलिए इसका बजट पिछले वित्तीय वषर् से घटा दिया गया. डिजिटल एजुकेशन सिस्टम की आवश्यकता केवल महामारी के दौर की नहीं बिल्क आज के वक्त की सबसे बड़ी ज़रूरत है I लेिकन डिजिटल एजुकेशन सिस्टम को प्रभावी तरीक़े से क्रियान्वित करने के लिए सुिनयोिजत तरीक़े से कायर् करने की आवश्यकता है I विद्यार्थी यों को मुफ़्त फ़ोन और टैबलेट वितरण करने भर से डिजिटल एजुकेशन सिस्टम लागू नहीं होगा इसके लिए शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हर वगर् स्कूल, शिक्षक, विद्यार्थी, अिभभावक सभी को एक लिनर्ं ग प्लेटफ़ोमर् पर लाना होगा, शिक्षकों और विद्यार्थी यों को डिजिटल एजुकेशन सिस्टम का प्रिशक्षण देना होगा और साथ ही शिक्षा सामग्री क्षेत्रीय भाषा में डिजिटल माध्यम से उपलब्ध करवानी होगी I डिजिटल एजुकेशन सिस्टम के हर पहलू को पूरी योजना के साथ लागू करना होगा I

गाँव हो या शहर हो, बंगला हो या झुग्गी हो हर जगह पैदा होने वाला बच्चा असीिमत संभावनाओं का भंडार है हर घर से कलाम, धीरूभाई अम्बानी, नारायण मूितर् निकल सकते हैं बशतेर् उन सभी को उच्च कोिट की समान स्तर की शिक्षा और संसाधन उपलब्ध हो I

0 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *